
नंदगांव का मुख्य मंदिर – नंद भवन मंदिर
नंदगांव में नंद भवन मंदिर सबसे प्रमुख मंदिर है, और यह भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर नंद बाबा के घर का प्रतीक माना जाता है जहां भगवान कृष्ण ने अपना बचपन बिताया था। और यह श्री कृष्ण के भक्तों के लिए एक पवित्र स्थान भी है। कहा जाता है कि जब श्री कृष्ण के मामा कंस के राक्षसों से नंदबाबा बचाव नहीं कर पा रहे थे तब एक संत ने बताया कि मथुरा से 40 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी है और उस पहाड़ी पर भगवान शिव निवास करते हैं और उस पहाड़ी को एक श्राप था कि यदि कोई राक्षस वहां आता है तो वह पत्थर का हो जाएगा । इसलिए जब नंद बाबा नंदगांव आए तो कंस के राक्षसों ने उन पर हमला कर दिया लेकिन उस पहाड़ी और भगवान शिव के श्राप के कारण वे पत्थर के हो गए और उन पथरों के राक्षस का नाम हाऊ बिलाऊ दिया गया।
श्री कृष्ण के अनन्य भक्त उद्धव जी के नंद भवन के बारे में कहा जाता है कि श्री कृष्ण के अनन्य भक्त उद्धव जी ने श्री कृष्ण की यादों को नंदगांव में संजो कर रखा था। श्री कृष्ण के अनन्य भक्त उद्धव जी की मृत्यु के बाद आज तक हजारों की संख्या में श्री कृष्ण के भक्त हर साल इस नन्द भवन में उनके दर्शन के लिए आते हैं।
मंदिर का इतिहास
नंदगांव का नन्द भवन एक सुंदर और शक्ति से भरपूर मंदिर है। इसका निर्माण राजस्थानी और भारत शैली के मिश्रण से किया गया है। नन्द भवन का निर्माण राजा रूप सिंह ने करवाया था जो भरतपुर के राजा थे। उस समय नन्द भवन पहाड़ियों के बीच स्थापित था। जहाँ श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित थी । उस समय राजा रूप सिंह युद्ध के लिए जा रहे थे और उन्होंने वहाँ श्री कृष्ण के दर्शन किए और सेवक को वचन दिया। यदि मैं युद्ध जीत गया तो मैं भगवान श्री कृष्ण का आध्यात्मिक मंदिर बनवाऊंगा। राजा रूप सिंह के वचन के अनुसार 17वीं शताब्दी में विशाल नन्द भवन का निर्माण करवाया गया ।
नन्द भवन का निर्माण बहुत ही अच्छी और सुंदर आकृतियों के साथ किया गया था। नन्द भवन में प्रवेश करते ही आपको मंदिर के बीचों-बीच श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के चित्र मिलेंगे। आप उन चित्रों को देखकर समझ सकते हैं कि श्री कृष्ण ने अपने बचपन से किस प्रकार की लीलाएं की थीं। इन सभी लीलाओं के चित्र नंदभवन में स्थित हैं। भगवान कृष्ण के भक्तों को अपने जीवन में कम से कम एक बार नंदभवन का यह अनूठा अनुभव अवश्य प्राप्त करना चाहिए।
नंदगांव मथुरा से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित है। नंदगांव नंदभवन में श्री कृष्ण के साथ-साथ श्री लाडली जी राधा रानी की लीलाओं का भी चित्र है। श्री राधा रानी के भक्तों को नंदगांव बरसाना का अनूठा अनुभव अवश्य प्राप्त करना चाहिए। नंदगांव श्री कृष्ण और राधा रानी की लीलाओं से भरा पड़ा है। नंदगांव में लगभग 54 तालाब और 26 मंदिर हैं जिनकी मान्यता अलग-अलग है।
मंदिर का महत्वपूर्ण तीर्थ और त्योहार
नंदगांव बरसाना और ब्रज का महत्वपूर्ण त्योहार, इनकी होली जन्माष्टमी और राधा अष्टमी है, इस होली में बरसाना की लड़कियां और भाभियाँ नंदगाव के लड़कों पे रंग डालती हैं। जहाँ बरसाना की लड़कियों को सखी माना जाता हैं, और नंदगांव के लड़कों को श्री कृष्ण के ग्वालों का रूप माना जाता है।
इस होली पे नंदगांव की यात्रा कैसे करें
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नंदगांव किस लिए प्रसिद्ध है?
नंदगांव श्री कृष्ण के पिता नंद बाबा का गांव है और श्री कृष्ण ने अपना बचपन यहीं बिताया था। यह स्थान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं और भक्ति गीतों के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा लट्ठमार होली भी इस स्थान की खास पहचान है।
नंदगांव के प्रमुख मंदिर और उनकी प्रसिद्धि
नंद भवन मंदिर
मान्यता: इस मंदिर को श्री कृष्ण का बचपन का महल माना जाता है, जहां उन्होंने अपने पिता नंद बाबा और माता यशोदा के साथ अपना जीवन बिताया था।
नृत्य गोपाल मंदिर
मान्यता: इस मंदिर में श्री कृष्ण की नृत्य (नृत्य) और रास रसिक के रूप में पूजा की जाती है। यहां भक्त कृष्ण के मधुर नृत्य का अनुभव करते हैं।
उद्धव क्यारो मंदिर
मान्यता: यह स्थान श्री कृष्ण के मित्र उद्धव जी से जुड़ा है, जो भक्ति और ज्ञान का उपदेश देने के लिए ब्रज आए थे। यहां ज्ञान और भक्ति का समागम मनाया जाता है।
यशोदा घाट
मान्यता: यह घाट मां यशोदा से जुड़ा है, जहां कहा जाता है कि उन्होंने श्री कृष्ण को स्नान कराया था। भक्तगण यहाँ आकर कृष्ण के प्रेम का अनुभव करते हैं।
चरण पहाड़ी मंदिर
मान्यता: ऐसा माना जाता है कि यहाँ एक पहाड़ी पर श्री कृष्ण के पैरों के निशान हैं। ऐसा कहा जाता है कि बाल कृष्ण ने यहाँ अपने पैरों के निशान प्रकट किए थे।
श्री कृष्ण का बचपन
नंदगांव वह स्थान है जहां श्री कृष्ण ने अपने पिता नंद बाबा और माता यशोदा के साथ अपना बचपन बिताया था। यहां उन्होंने अपनी मस्ती भरी लीलाओं से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया और अपनी दिव्य शक्तियों का प्रदर्शन किया। यह मंदिर उन यादों का साक्षात प्रकटीकरण है।
भक्ति और प्रेम का केंद्र
नंद भवन मंदिर में श्री कृष्ण और बलराम जी की मूर्तियां विराजमान हैं। यह मंदिर भक्तों के लिए प्रेम, आस्था और भक्ति का एक महत्वपूर्ण स्थान है। भक्त यहां कृष्ण की मधुर लीलाओं का अनुभव कर सकते हैं।
त्यौहार और उत्सव
मंदिर में नंदोत्सव, जन्माष्टमी, गोवर्धन पूजा और लट्ठमार होली विशेष रूप से मनाई जाती है। बरसाने की लड़कियां और नंदगांव के लड़के मिलकर होली खेलते हैं, जो ब्रज की एक अनूठी परंपरा है।
यात्रा का महत्व
मथुरा-वृंदावन की यात्रा तब तक अधूरी रहती है जब तक कोई भक्त नंदगांव के दर्शन न कर ले। यहां अलौकिक शांति और आनंद का अनुभव होता है।
नंद भवन मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बाल्की एक भावना है जो श्री कृष्ण की मधुर बाल लीलाओं से जुड़ा है। यहां आकार भक्तों को एक अलौकिक आनंद का अनुभव होता है। अगर आप ब्रज की यात्रा पर हैं, तो पवित्र मंदिर का दर्शन अवश्य करें और कृष्ण प्रेम का अनुभव प्राप्त करें।